Sunday, November 24, 2019

अंर्तराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस आज मनाया

मेरठ। अंर्तराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस आज मनाया जाएगा। यह दिवस पूरे विश्व में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए मनाया जाता है। कठोर कानून न होने के कारण महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार नहीं रूक रहें। मेरठ की बात करें तो हर रोज महिलाओं को ट्रिपल तलाक देकर घर से निकाला जा रहा है। युवतियों के साथ  बलात्कार हो रहे हैं। उनका उत्पीडऩ किया जा रहा है। छेडख़ानी की घटनाएं तो  रूकने का नाम नहीं ले रही।
महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा मौजदूा समय में लगातार बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से जो आंकड़े निकलकर सामने आए हैं, वो दिल दहलाने वाले हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक हर 3 में से एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में कभी न कभी यौन या फिर मानसिक हिंसा की शिकार हुई है। इसी तरह हर साल सडक़ हादसों और मलेरिया की वजह से जितनी जान जाती हैं, उतनी ही महिलाएं पूरे विश्व में हिंसा की शिकार होती हैं। आधी आबादी यानी महिलाएं हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा है, जिनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फिर भी उन पर हर दिन न जाने कितने अत्याचार होते हैं। इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। महिलाओं के प्रति हिंसा खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में सोमवार को अंर्तराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाएगा। गौरतलब है कि सयुंक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने इस दिवस पर महिलाओं और लड़कियों पर हो रही हिंसा के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की। सयुंक्त राष्ट्र संघ ने इस वर्ष अंर्तराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर ऑरेंज डे मानाने की घोषणा की। यह 25 नवंबर से शुरू होकर 10 दिसंबर अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को समाप्त करने की अपील करना है।



  • गंभीर स्थिति में पहुंचे अपराध के आंकड़े
    भारत को दुनिया उसकी संस्कृति और शालीनता के कारण पहचानती है। लेकिन, जिस भारत में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, वहीं उनके खिलाफ अपराध के आंकड़े गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं। हर रोज महिलाओं पर हो रहे अत्याचार क्राइम आंकड़ों को बढ़ा रहे हैं।


ये कहना है महिलाओं का-
'महिलाओं को मजबूत बनना पड़ेगा।अपने ऊपर हो रहे अत्याचार का मुंह तोड़ जवाब दे  किसी की सहायता न ले, खुद अपनी सुरक्षा करें। उत्पीडऩ को झेले नहीं, आवाज उठाए। अब समय बदल गया है, सशक्त बने।'--------नीतू शर्मा 


उत्पीडऩ को झेले नहीं, इससे सामने वाले के हौसले और बुलंद हो जाते है ,कानून की मदद ले -जब महिलाएं ऐसा करना लगेगी तो अपराध में कमी आएंगी। -डॉ अनिता कौशल पुंडीर 


'सबसे अधिक शिक्षा की परेशानी है। महिलाएं शिक्षित न होने के कारण उत्पीडऩ को बता नहीं पाती। बचपन से ही लडक़ी को उत्पीडऩ के खिलाफ जागरूक करें। चुप न होकर बैठे।'
               -बीना वाधवा-पूर्व उपाध्यक्ष, छावनी परिषद्